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सीपीआईएम ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का किया पुतला दहन।

भारत पर अमेरिकी टैरिफ के विरोध में सीपीआईएम का विरोध प्रदर्शन।

देहरादून : भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) सीपीएम ने डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर लगाए गए 50% टैरिफ के खिलाफ स्पष्ट रुख अपनाया है, जो 27 अगस्त 2025 से प्रभावी होने वाला है। आज देशव्यापी विरोध दिवस के अवसर राजधानी देहरादून पार्टी ने जलूस निकालकर भारी बर्षात कै बावजूद राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप कै खिलाफ जोरदार नारेबाजी की तथा पुतला दहन किया ।

आज पार्टी कार्यकर्ता राजपुर रोड़ स्थित कार्यालय में एकत्रित हुऐ जलूस की शक्ल में गांधी पार्क कै पास ‌पुतला दहन किया तथा सभा की इस अवसर पर ‌वक्ताओं ने अमेरिकी दादागिरी का जमकर विरोध किया तथा कहा

ट्रंप के इस कदम को “आर्थिक दंड” और “राजनीतिक दबाव” के रूप में वर्णित किया है। वक्ताओं ने तर्क दिया है कि अमेरिका भारत की स्वतंत्र विदेश नीति को नियंत्रित करने का प्रयास कर रहा है, विशेषकर रूस से तेल खरीदने के भारत के निर्णय के संदर्भ में। वक्ताओं ने इस कार्रवाई को अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन मानते हैं, जैसा कि चीन ने भी इंगित किया है ।

वक्ताओं ने कहा है कि रूस के साथ संबंधों का समर्थन किया तथा भारत द्वारा रूस से तेल आयात जारी रखने के पक्ष में हैं।वक्ताओं नै कहा है कि यह भारत की ऊर्जा सुरक्षा और राष्ट्रीय हितों के लिए आवश्यक है। वे इस बात पर जोर देते हैं कि अमेरिका का दबाव भारत की रणनीतिक स्वायत्तता” को कमजोर करने का प्रयास है। वक्ताओं ने कहा कि पीएम मोदी के उस बयान का भी समर्थन किया जिसमें उन्होंने राष्ट्रीय हितों से समझौता न करने की बात कही थी ।

वक्ताओं ने कहा है कि आर्थिक प्रभावों पर चिंता करते हुऐ चेतावनी दी है कि 50% टैरिफ भारतीय निर्यात को गंभीर रूप से प्रभावित करेगा, विशेषकर टेक्सटाइल, फार्मा और जेम्स एंड ज्वैलरी जैसे श्रम-प्रधान क्षेत्रों को। इससे जीडीपी में 0.2–0.4% की गिरावट आ सकती है और आर्थिक विकास दर 6% से नीचे जा सकती है। वामदल सरकार से मजदूरों और छोटे उद्योगों को बचाने के लिए तत्काल कदम उठाने की मांग करते हैं ।

वक्ताओं ने कहा है कि ब्रिक्स और बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था की वकालत की वक्ताओं ने कहा है कि ट्रंप की कार्रवाई को अमेरिका की “एकध्रुवीय वर्चस्ववादी नीति” का हिस्सा बताया है। वे भारत को ब्रिक्स (BRICS+) जैसे समूहों के साथ मजबूत संबंध बनाने और डॉलर पर निर्भरता कम करने की सलाह देते हैं। उनका तर्क है कि ट्रंप ब्रिक्स के विस्तार से चिंतित हैं, जिसमें ईरान, इथियोपिया जैसे देश शामिल हैं ।

वक्ताओं ने कहा है‌ कि सरकार की नीतियों की आलोचना तथा कहा है कि केंद्र सरकार की “अमेरिका-समर्थक” नीतियों को भी निशाना बनाया है। उनका कहना है कि पिछले वर्षों में रक्षा और व्यापार में अमेरिका पर बढ़ती निर्भरता ने भारत को कमजोर किया है। वे सरकार से चीन के साथ संबंध सुधारने और रूस के साथ त्रिपक्षीय सहयोग (भारत-चीन-रूस) को मजबूत करने का आग्रह करते हैं, जैसा कि पीएम मोदी की आगामी चीन यात्रा से संकेत मिलता है ।

वक्ताओं नै कहा है कि जन आंदोलनों का आह्वान

इस मुद्दे को “अमेरिकी साम्राज्यवाद के खिलाफ लड़ाई” का प्रतीक बताते हुए देशव्यापी आज विरोध प्रदर्शनों का आयोजन इसी विरोध का‌ कारण है । वक्ताओं ने कहा है कि

टैरिफ के खिलाफ प्रतिरोध, रूस के साथ संबंधों का समर्थन और बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था की वकालत** करता है। वे सरकार से अमेरिकी दबाव झेलने के बजाय राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता देने की अपील करते हैं। उनकी मांग है कि सरकार टैरिफ का जवाब प्रतिशुल्क या डॉलर में व्यापार कम करके दे, न कि रूस से तेल आयात रोककर ।इस अवसर पर पार्टी केन्द्रीय कमेटी सदस्य राजेन्द्र सिंह नेगी ,राज्य सचिव राजेन्द्र पुरोहित, जिलासचिव शिवप्रसाद देवली, देहरादून सचिव अनन्त आकाश ,किसान सभा कै प्रदेश महामंत्री गंगाधर नौटियाल ,सीआईटीयू जिलामहामन्त्री लेखराज ,एस एफ आई प्रदेश अध्यक्ष नितिन मलैठा ,महामंत्री शैलेन्द्र परमार ,जनवादी महिला की – प्रदेश महामंत्री दमयन्ती नेगी एटक के एस.एस.रजवार आदि ने विचार व्यक्त किये ।

इस अवसर पर सीआईटीयू कै प्रदेश कोषाध्यक्ष मनमोहन रौतेला ,जिला कोषाध्यक्ष रविन्द्र नौडियाल ,हिमान्शू चौहान ,रामसिंह भण्डारी ,कनिका ,यू एन बलूनी ,प्रदीप कुमार ,नरेन्द्र सिंह‌,विप्लव, अंशुल ,अर्जुन रावत,इन्द्रैश नौटियाल आदि बड़ी संख्या में कार्यकर्ता शामिल थे ।

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