देश-विदेशनई दिल्ली

रूस ने बना ली सौ फीसदी प्रभाव वाली वैक्सीन।

कैंसर के खिलाफ लड़ाई में वैज्ञानिकों ने किया कमाल।

नई दिल्ली। रूस ने कैंसर के खिलाफ लड़ाई के लिए एक नई और अति प्रभावी वैक्सीन तैयार कर लेने की जानकारी दी है। जानकारियों के मुताबिक यह एक एमआरएनए-आधारित वैक्सीन है जो कैंसर रोगियों के लिए वरदान साबित हो सकती है। नैदानिक परीक्षणों में इसे 100 फीसदी प्रभावकारिता वाला और सुरक्षात्मक पाया गया है।

कैंसर मौजूदा समय की सबसे तेजी से बढ़ती गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं में से एक है। ये वैश्विक स्तर पर मृत्यु का प्रमुख कारण है, हर साल लाखों लोगों की कैंसर से मौत हो जाती है। बदलती लाइफस्टाइल, जंक फूड्स, धूम्रपान-शराब और वायु प्रदूषण के कारण कैंसर का जोखिम लगातार बढ़ता जा रहा है।

आधुनिक चिकित्सा और नई तकनीकों ने पहले की तुलना में इस रोग के खतरे को कम तो किया है साथ ही इसका इलाज भी अब आसान हुआ है। हालांकि ग्रामीण क्षेत्रों में स्क्रीनिंग और उपचार की पहुंच कठिन होने के कारण ये बीमारी और इससे होने वाली मौतें अब भी चिंता का कारण बनी हुई हैं।

नई वैक्सीन लक्षित थेरेपी, इम्यूनोथेरेपी जैसी आधुनिक उपचार पद्वतियां कैंसर के उपचार को आसान बनाने में मदद कर रही हैं। इसी क्रम में रूस ने कैंसर के खिलाफ लड़ाई में एक नई और अति प्रभावी वैक्सीन तैयार कर लेने की जानकारी दी है। संघीय चिकित्सा और जैविक एजेंसी (एफएमबीए) की प्रमुख वेरोनिका स्क्वोर्त्साेवा के अनुसार कैंसर के लिए वैज्ञानिकों की टीम ने एक प्रभावी वैक्सीन तैयार कर ली है। कई वर्षों के प्रीक्लिनिकल परीक्षणों को सपफलतापूर्वक पूरा करने के बाद अब ये उपयोग के लिए तैयार पाई गई है।

वैक्सीन को लेकर साझा की गई जानकारियों के मुताबिक ये एक एमआरएनए-आधारित वैक्सीन है जो कैंसर रोगियों के लिए वरदान साबित हो सकती है। नैदानिक परीक्षणों में इसे 100 पफीसदी प्रभावकारिता वाला और सुरक्षात्मक पाया गया है। एंटरोमिक्स नामक वैक्सीन ने अपने नैदानिक परीक्षणों में बड़े ट्यूमर वाले रोगियों के आकार को कम करने और कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करके में प्रभाविकता दिखाई है जिसने इस खतरनाक जानलेवा रोग के इलाज को लेकर नई उम्मीद दी है। रूस के राष्ट्रीय चिकित्सा अनुसंधान रेडियोलाजिकल केंद्र ने एंगेलहार्ट इंस्टीट्यूट आफ मालिक्यूलर बायोलाजी (ईआईएमबी) के सहयोग से यह वैक्सीन विकसित की है।

स्थानीय रूसी मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार इस वैक्सीन को अब केवल स्वास्थ्य मंत्रालय से अंतिम मंजूरी मिलने का इंतजार है। रिपोर्ट्स के मुताबिक एंटरोमिक्स, उसी एमआरएनए तकनीक पर आधारित पहली कैंसर वैक्सीन है जिसका कोविड-19 वैक्सीन में सफलतापूर्वक इस्तेमाल किया गया है। अगली पीढ़ी की इम्यूनोथेरेपी समाधान के रूप में देखी जा रही इस वैक्सीन को विशेष रूप से कैंसर कोशिकाओं को लक्षित करके उन्हें सटीकता से नष्ट करने के लिए डिजाइन किया गया है। विशेषज्ञों का कहना है कि इससे दुनियाभर के लाखों कैंसर रोगियों को नई उम्मीद मिल सकती है।

एंटेरोमिक्स एक इंट्रामस्क्युलर इंजेक्शन है और रूस के कई आन्कोलाजी केंद्रों में इसका प्रारंभिक नैदानिक उपयोग शुरू हो चुका है। मेडिकल रिपोर्ट से पता चलता है कि इसका मुख्य लक्ष्य कोलोरेक्टल कैंसर है पर ये फेफड़े, स्तन या अग्नाशय के कैंसर के रोगियों के लिए भी काफी प्रभावी हो सकती है। वंशानुगत कैंसर सिंड्रोम के उच्च जोखिम वाले और वे रोगी जो कीमोथेरेपी-प्रतिरोधी हो गए हैं या जिनपर कीमोथेरेपी का भी असर नहीं हो रहा है उन्हें भी इस टीके से लाभ मिल सकता है।

इस टीके का एक और महत्वपूर्ण पहलू यह है कि रोगियों पर परीक्षण के दौरान इसके किसी भी गंभीर दुष्प्रभाव की सूचना नहीं मिली है। विशेषज्ञों की टीम ने बताया कि खास बात ये है कि इस वैक्सीन को हर रोगी के लिए उनके व्यक्तिगत आरएनए के अनुसार अनुकूलित किया जा सकता है जो इसकी प्रभाविकता को और भी बढ़ा देती है। वैक्सीन के पहले संस्करण का इस्तेमाल कोलोरेक्टल कैंसर के इलाज के लिए किया जाएगा, बाद में इसे अन्य प्रकार के कैंसर के लिए भी प्रयोग में लाया जाएगा। फिलहाल इसके मंजूरी के लिए इंतजार किया जा रहा है।

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