देहरादून : आज 17 राज्यों से 52 महिला एवं जन संगठनों के साथ 100 आंदोलनकारियों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और अन्य लोगों ने उत्तराखंड के राज्यपाल के नाम पर खुला खत लिख कर उत्तराखंड सरकार और सत्ताधारी भाजपा पर आरोप लगाया कि वे नफरती हिंसा और दुष्प्रचार फैला कर राज्य में महिलाओं पर हो रहे अत्याचारों को छुपाने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि एक प्रकार के अपराधों को छुपाने के लिए दूसरी प्रकार के अपराधों को बढ़ावा दिया जा रहा है।
खुला खत के द्वारा हस्ताक्षरकर्ताओं ने कहा कि उत्तराखंड में बीते कुछ सप्ताहों में महिलाओं पर अत्याचार की कई घटनाएं हुई हैं, जिनमें रुद्रपुर, देहरादून, सल्ट और लालकुआं की घटनाएं शामिल हैं। सबसे ज्यादा चिंताजनक बात है की सल्ट और लालकुआं में सत्ताधारी भाजपा के नेता आरोपित हैं। लेकिन पहले पुलिस ने इन आरोपियों की गिरफ़्तारी तक नहीं की और फिर उनपर हलकी धाराएं लगा रही है। लेकिन दूसरी और इन्ही सप्ताहों में चंद संगठन एवं व्यक्ति कीर्तिनगर, चमोली, रुद्रप्रयाग, देहरादून और अन्य जगहों में महिलाओं की सुरक्षा के बहाने धर्म के आधार पर बेकसूर लोगों पर हमले किये हैं और लोगों को अपने स्थानों से भगाये हैं। इन पर कोई कार्यवाही नहीं हुई है। सरकार को यह भी याद होना चाहिए कि 2023 में उत्तरकाशी के पुरोला कस्बे में ऐसे ही आपराधिक अभियान चलाया गया था और बाद में पता चला कि कथित छेड़छाड़ की घटना पूरी तरह से फ़र्ज़ी थी। इन सारे आपराधिक घटनाओं के लिए आज तक किसी भी ज़िम्मेदार व्यक्ति या संगठन पर कार्यवाही नहीं हुई है।
हस्ताक्षरकर्ताओं ने लिखा कि कुल मिला कर उत्तराखंड सरकार महिलाओं और जनता को सुरक्षा देने में विफल रही है, जबकि ऐसे लग रहा है कि सत्ताधारी दल और उनके संगठनों से जुड़े अपराधियों को संरक्षण मिल रहा है।
हस्ताक्षरकर्ताओं ने मांग किया कि राज्यपाल सरकार को निर्देशित करे कि महिलाओं पर हो रहे अपराधों और नफरत फ़ैलाने वाले अपराधों पर भी सख्त कार्यवाही करे, चाहे अपराधी का धर्म, जाति या राजनैतिक संबंध कुछ भी हो।