देहरादून : स्पिक मैके के तत्वावधान में आर्यन स्कूल ने आज प्रसिद्ध पंडित अभय रुस्तम सोपोरी द्वारा संतूर व्याख्यान प्रदर्शन का आयोजन किया। कार्यक्रम का आयोजन स्कूल परिसर में हुआ, जिसके दौरान संगीत और शिक्षा के मिश्रण ने छात्रों को मंत्रमुग्ध कर दिया। पंडित सोपोरी के साथ तबले पर चंचल सिंह और पखावज पर ऋषि शंकर उपाध्याय ने संगत की।
इस अवसर पर पंडित सोपोरी ने अपनी तकनीकों को दर्शाते हुए छात्रों को संगीत के इतिहास और लोकाचार के बारे में बताया और वाद्ययंत्रों के बारे में चर्चा भी करी।
प्रस्तुति के दौरान पंडित सोपोरी ने छात्रों के साथ संतूर के बारे में रोचक जानकारी साझा करते हुए कहा, “संतूर ईरान से नहीं आया है। यह एक स्वदेशी कश्मीरी वाद्य है, और इसे शत तंत्री वीणा के रूप में भी जाना जाता है। तारों को बजाने वाली लकड़ी की पट्टियों को कलम कहा जाता है।
पंडित सोपोरी का प्रदर्शन के दौरान विभिन्न राग रचनाओं की प्रस्तुति देखी गई। उन्होंने राग पटदीप में भावपूर्ण झोर, झाला और आलाप से शुरुआत की। इसके अतिरिक्त, उन्होंने ध्रुत लय में एक गायन रचना और एक गत (वाद्य रचना) प्रस्तुत की, जिसमें गायन और वाद्य दोनों पर उनकी महारत का प्रदर्शन देखा गया।
संतूर वादक और संगीतकार पंडित अभय रुस्तम सोपोरी संगीत के दिग्गज पंडित भजन सोपोरी के बाद एकमात्र भारतीय शास्त्रीय संगीतकार हैं, जिन्होंने सूफी और लोक संगीत समूहों और ऑर्केस्ट्रा की रचना और संचालन किया है। उनके कई पुरस्कारों में यूनाइटेड नेशंस महात्मा गांधी सेवा पदक (2020), ऑल इंडिया रेडियो द्वारा शीर्ष ग्रेड कलाकार (2019), और ध्रुपद सम्मान (2019) शामिल हैं। उन्होंने विश्व स्तर पर प्रदर्शन किया है, प्रतिष्ठित ऑर्केस्ट्रा के साथ प्रस्तुति दी है और विभिन्न फिल्मों और वृत्तचित्रों के लिए संगीत प्रदान किया है।
कश्मीर में जन्मे पंडित सोपोरी 10 पीढ़ियों से अधिक समय तक फैली सोपोरी सूफियाना घराने की समृद्ध संगीत विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं। उन्होंने संतूर के आयामों को नया रूप दिया है और नई तकनीकें व रचनाएँ पेश कर उसका विस्तार किया है। उनके योगदान ने जम्मू और कश्मीर में एक सांस्कृतिक क्रांति पैदा की है, दुनिया भर में भारतीय संस्कृति को बढ़ावा दिया है और संगीत पारखी लोगों की एक नई पीढ़ी को बढ़ावा दिया है।
इस मौके पर आर्यन स्कूल के प्रिंसिपल बी. दासगुप्ता ने कहा, “आर्यन स्कूल में पंडित अभय रुस्तम सोपोरी की प्रस्तुति से हमें गर्व महसूस हो रहा है। उनका गायन सिर्फ़ एक प्रदर्शन नहीं, बल्कि हमारे छात्रों के लिए एक समृद्ध अनुभव रहा, जिसमें शिक्षा और संस्कृति का सहज मिश्रण था। संगीत के प्रति उनका समर्पण और छात्रों को प्रोत्साहित करने के उनके प्रयास वाकई प्रेरणादायक हैं।