देहरादून : “आज , पृथ्वी पर कोई ऐसा धर्म नहीं है जो हिन्दू धर्म के समान इतने उच्च स्वर से मानवता के गौरव का उपदेश करता हो पर,पृथ्वी पर कोई ऐसा धर्म नहीं है जो हिन्दू धर्म के समान गरीबों और निम्न जातियों का गला क्रूरता से घोंटता हो ”
“हम हिंदू भी नहीं है और वेदान्तिक भी नहीं,,,असल में हम है ,छुआछूत पंथी ।रसोई घर हमारा मंदिर है,पकाने का बर्तन हमारा उपास्य देवता है और मत छुओ ,मत छुओ,मंत्र है।समाज के इस कुसंस्कार को शीघ्र दूर करना होगा !
‘वह देश जहां करोड़ों व्यक्ति महुआ के फूल पर जिंदा रहते हैं और जहां दस लाख से ज्यादा साधू और कोई दस करोड़ ब्राह्मण हैं जो गरीबों का खून चूसते हैं,वह देश है या नर्क?वह धर्म हैं या शैतान का नृत्य।