फिलीस्तीन पर हमास के हमले के बहाने जबाबी हमले तत्काल रोके, इजराइल की दक्षिणपंथी सरकार फिलीस्तीनी जनता की नाकेबंदी रोके ।
हमास द्वारा इजराइल पर हमले के बाद इजराइल की दक्षिणपंथी सरकार द्वारा फिलिस्तीन की गाजा पट्टी पर एक के बाद एक जबाबी कार्यवाही की जा रही तथा अमेरिका द्वारा इस अधोषित युद्ध को पूरे समर्थन के बीच मध्य एशिया अशान्ति को बढ़ चला ।गजा पट्टी पर हमले के खिलाफ विश्वभर में इस्राइल तथा उसके सरपरस्तों के खिलाफ जगह जगह विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं ,तत्काल युद्ध रोकने की मांग दिनोंदिन जोर पकड़ रही है ।इससे पहले अमेरिकी सरपरस्ती के चलते यूक्रेन के हाल विश्व के सामने हैँ । इससेपूर्व इराक ,अफगानिस्तान ,सीरिया आदि देशों की हालात के लिऐ अमेरिकी साम्राज्यवाद सीधेतौर पर जिम्मेदार रहा है ।विश्व जनमन हमलों और जवाबी हमलों की कड़ी निंदा कर रहा है। पहले ही दोनों तरफ सैकड़ो जानें जा चुकी हैं ,और हालात अधिक बिगडऩे की ओर बढ़ रही है,परिणामस्वरूप और ज्यादा मौतें होंगी तथा लोगों को नारकीय जीवन जीने के लिऐ विवश होना पड़ेगा । हमास के हमले के तुरन्त बाद आननफानन में दिये गये हमारे देश के पीएम का बयान हमारी घोषित बिदेश नीति के विपरीत है ,हम सदैव से फिलस्तीन की जनता के न्यायोचित संघर्ष के साथ मजबूती के साथ खड़े रहे हैं तथा इजराइल वअमेरिकी हस्तक्षेप का विरोध करते रहे हैं ।
यह सच है कि इस्राइल की सबसे ज्यादा दक्षिणपंथी नेतन्याहू सरकार, अंधाधुंध फिलिस्तीनी जमीनों पर कब्जे करती रही है और पश्चिमी तट पर यहूदी बस्तियां बसाने में लगी रही है ताकि यहाँ की आबादी का परिदृश्य में इजराइल के हितों के हिसाब से बदलाव लाया जा सके । इससे पूर्व इसी साल 248 फिलिस्तीनी मारे जा चुके हैं, जिनमें 40 बच्चे भी शामिल हैं।
हमारा मानना है कि संयुक्त राष्ट्र संघ को फिलिस्तीनी जनगण के अपने होम लैंड के जायज अधिकार को स्वीकार करते हुऐ इस क्षेत्र में बसी सभी अवैध इस्राइली बस्तियों तथा फिलिस्तीनी जमीनों पर कब्जों को हटना सुनिश्चित करना चाहिए । साथ ही दो-राष्ट्र पर आधारित समाधान के, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव पर अमल सुनिश्चित करना चाहिए। पूर्व में संयुक्त राष्ट्र संघ में स्वीकृत प्रस्ताव के अनुरूप, पूर्वी यरूशलम को फिलिस्तीन की राजधानी बनाई जानी चाहिए।
वर्तमान में इसरायली गुण्डागिर्दी के चलते हवाई हमलों के कारण
गाज़ा पट्टी में बड़ी संख्या में फिलिस्तीनी नागरिक मारे गए हैं। 1948 के बाद से फिलिस्तीन की जमीन पर यहूदीवाद के नाम पर निरन्तर कब्जा किया जा रहा है ,और नजर बचे फिलिस्तीनियों की सबसे सघन बसाहट पर है जो गाजा पट्टी है जिसे इसरायल ने 2006 से जमीन, समुद्र और हवाई नाकैबंदी की हुई है यहाँ करीब 20 लाख फिलिस्तीनी मुस्लिम, ईसाई, यहूदी फिलिस्तीनियों की आबादी है। वर्तमान में फिलिस्तीन पर हुआ हमला 2014 के बाद का सबसे भीषण हमला है। यह दो देशों का युद्द नहीं है, बल्कि फिलिस्तीनियों को पूरी तरह मिटा देने के लिए किया गया हमला है जैसे कि इजराइल की घोर दक्षिणपंथी सरकार कै पीएम नेतनयाहू कह चुके हैं । उसकी मंशा पूर्वी यरूशलम पर पूरी तरह से कब्जा करने की है। ऐसा करने के लिए वह फिलिस्तीनियों पर निरन्तर हमले कर रहा है। इस हमले की शुरुआत नजदीक की बस्ती शेख जर्राह में रहने वालों को जबरन निकालने की इसरायली कोशिशों के खिलाफ उठी आवाज को कुचलने से हुयी है । हालांकि बाद में खुद इसरायली सुप्रीम कोर्ट ने इन बेदखलियों पर फिलहाल रोक लगा दी थी ,मगर फिर भी हमले जारी हैं। बेदखली की ये कोशिशें, फिलिस्तीनियों को बेदखल करके उनकी जगह यहूदी आबादी को बसाने के लिये की जा रही हैं।
ज्ञात रहे पूर्वी यरूशलम दुनिया के तीन धर्मों से जुड़ा ऐतिहासिक शहर है । एक किलोमीटर से भी कम दायरे में तीनों धर्मो के जन्म और उनके पैगम्बरों के साथ जुड़ाव के महत्वपूर्ण तीर्थ हैं। ईसा मसीह को यहीं सूली पर चढ़ाया गया था और ईसाई मान्यताओं के हिसाब से यहीं वे पुनर्जीवित हुए थे। मक्का, मदीना के बाद इस्लाम का यह तीसरा सबसे पवित्र धार्मिक स्थल है। इस्लाम धर्म की घोषणा यहीं हुयी थी और इस्लामिक मान्यताओं के हिसाब से पैगम्बर हजरत मौहम्मद यही से खुदा के पास गए थे। यहूदी धर्म का प्राचीनतम टेम्पल भी यही एक पुरानी पहाड़ी है। इस तरह साफ़ हो जाता है कि फिलिस्तीन पर हमलों का किसी भी तरह के धार्मिक विवाद से कोई संबंध नहीं है – यह सीधे सीधे फिलिस्तीन की जमीन पर कब्जा कर उसे अपना गुलाम बनाने की साजिश है।
इसरायली सेनाओं ने इनमे से एक ऐतिहासिक स्थल अल अक्सा मस्जिद पर धावा बोला है। इस हमले में रमजान के महीने के दौरान, प्रार्थना कर रहे सैकड़ों लोग घायल हुए हैं ।
हाल में हुए कई चुनावों में इसरायल कै प्रधानमंत्री नेतन्याहू बहुमत हासिल करने में बार बार विफल रहे हैं। अपने क्षुद्र राजनीतिक लाभ के लिए और कोविड महामारी के दौरान अपनी सरकार की विफलता पर पर्दा डालने के लिए, ये हमले किए जा रहे हैं। ज्ञात रहे कि संयुक्त राष्ट्र संघ ने अपने पूरे इतिहास में जितने प्रस्ताव इसराइल की करतूतों और उसके मानवाधिकारों के उल्लंघन के खिलाफ पारित किये हैं ,उतने किसी और मामले में नहीं । फिलिस्तीनी जनता पर इसरायल की यह बर्बरता सारे अंतर्राष्ट्रीय कानूनों और पारित किए गए विभिन्न प्रस्तावों को ठेंगा दिखाना है। ऐतिहासिक रूप से भारत की जनता और भारत सरकार हमेंशा इसरायल के खिलाफ और फिलिस्तीनी जनता के समर्थन में रहे हैं।किन्तु वर्तमान मोदी सरकार इजराइल के साथ है ,जो कि शर्मनाक है ।आज इन हमलों के खिलाफ आवाज उठाना जरूरी है ,फिलिस्तीनियों पर हमले पर मौजूदा सरकार की चुप्पी शर्मनाक है और भारत की आम सहमति वाली विदेश नीति के बिल्कुल खिलाफ है।वर्तमान मैं मोदी सरकार तथा उनकी पार्टी द्वारा फैलाई जा रही वैमनस्यता का परिणाम है, जिसका कतई समर्थन नहीं किया जाना चाहिए ।
_इन्कलाब जिन्दाबाद।_
_फिलिस्तीन के खिलाफ इजराइल_ युद्ध नहीं चलेगा ।
_फिलिस्तीनी ,हिन्दुस्तानी अवाम_ की एकता अमर रहे ।