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इसरो के ध्रूवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान ने किया भारत के पहले सौर मिशन आदित्य एल1 का प्रक्षेपण।

श्रीहरिकोटा :पीएसएलवी-सी57 द्वारा आदित्य एल1 से दोपहर करीब एक बजे प्रक्षेपित किए जाने के तुरंत बाद मिशन नियंत्रण कक्ष में इसरो के वैज्ञानिकों और अभियंताओं को संबोधित करते हुए डा0 जितेंद्र सिंह ने कहा कि पूरी दुनिया ने सांस रोककर इसे देखा और यह भारत के लिए सुनहरा क्षण है।
केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डा0 जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारतीय वैज्ञानिक वर्षों से एक साथ मिलकर दिन-रात काम और मेहनत कर रहे हैं, लेकिन अब पुष्टि और राष्ट्र को दिए गए वचन को पूरा करने का क्षण आया है। डा0 सिंह ने कहा कि सितारों तक पहुंचने और ब्रह्मांड के रहस्यों को खोजने के लिए हमें आत्मविश्वास, साहस और दृढ़ विश्वास देने के लिए भी प्रधानमंत्राी को धन्यवाद।
इससे पहले इसरो ने पुष्टि कर दी थी कि पीएसएलवी-सी57 राकेट के जरिए आदित्य-एल1 का प्रक्षेपण सफलतापूर्वक पूरा कर लिया गया है। इसके साथ भारत की पहली सौर वेधशाला ने सूर्य-पृथ्वी (लैग्रेंज बिंदु) एल1 के गंतव्य के लिए अपनी यात्रा शुरू कर दी है।
आदित्य एल1 सूर्य का अध्ययन करने वाला पहला अंतरिक्ष आधारित भारतीय मिशन है। अगले चार महीनों में विभिन्न कक्षा उत्थान प्रक्रियाओं और क्रूज चरण के माध्यम से अंतरिक्ष यान को सूर्य-पृथ्वी प्रणाली के लैग्रेंज बिंदु 1 (एल1) के चारों ओर एक प्रभामंडल कक्षा में स्घ्थापित किया जाएगा, जो पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर है।
अंतरिक्ष यान में विद्युत चुम्बकीय और कण तथा चुंबकीय क्षेत्र डिटेक्टरों का उपयोग करके फोटोस्फीयर, क्रोमोस्फीयर और सूर्य की सबसे बाहरी परतों (कोरोना) का निरीक्षण करने के लिए सात पेलोड हैं। विशेष सुविधाजनक बिंदु एल1 का उपयोग करते हुए चार पेलोड सीधे सूर्य को देखते हैं और शेष तीन पेलोड लैग्रेंज बिंदु एल1 पर कणों और क्षेत्रों का सीटू अध्ययन करते हैं और इस प्रकार ये अंतरग्रहीय माध्यम में सौर गतिशीलता के प्रवर्धी प्रभाव का महत्वपूर्ण वैज्ञानिक अध्ययन प्रदान करते हैं।
आदित्य एल1 मिशन से कोरोनल हीटिंग, कोरोनल मास इजेक्शन, प्री-फ्रलेयर और फ्रलेयर गतिविधियों और उनकी विशेषताओं, अंतरिक्ष मौसम की गतिशीलता, कणों और क्षेत्रों के फैलाव आदि की समस्या को समझने के लिए सबसे अहम जानकारी प्रदान करने की आशा है।

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