
नई दिल्ली : अबु धाबी में एक चार वर्षीय बच्चे की हत्या के मामले में उत्तर प्रदेश की महिला शहजादी खान को 15 फरवरी को फांसी दे दी गई थी. विदेश मंत्रालय की ओर से पेश एएसजी चेतन शर्मा ने दिल्ली हाईकोर्ट को ये सूचना दी. विदेश मंत्रालय की इस सूचना के बाद जस्टिस सचिन दत्ता की बेंच ने याचिका का निस्तारण कर दिया।
सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने कहा कि ये दुर्भाग्यपूर्ण घटना है. सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने हाईकोर्ट को बताया कि विदेश मंत्रालय के अधिकारी हरसंभव सहायता प्रदान कर रहे हैं और उनका अंतिम संस्कार 5 मार्च को होना है. दरअसल, संयुक्त अरब अमीरात में मौत की सजा का सामना कर रही शहजादी खान के पिता शब्बीर खान ने दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. याचिका में मांग की गई थी कि याचिकाकर्ता की बेटी की कानूनी स्थिति के बारे में बताया जाए. शहजादी खान को मौत की सजा सुनाई गई थी।
यूपी के बांदा की रहनेवाली शहजादी खान संयुक्त अरब अमीरात में बच्चों की देखभाल का काम करती थी. वो दिसंबर 2021 में अबु धाबी लीगल वीजा पर गई थी. अगस्त 2022 में उसे एक घर में नवजात बच्ची के देखभाल का काम मिल गया. 7 दिसंबर 2022 को बच्चे को एक रुटीन वैक्सीन दिया गया था लेकिन उसी शाम को बच्चे की मौत हो गई. याचिका में कहा गया था कि बच्चे के माता-पिता ने उसके शव का पोस्टमार्टम नहीं करने दिया।
शहजादी पर आरोप था कि चार महीने के बच्चे की उनकी देखभाल के दौरान मौत हो गई. बच्चे की मौत के बाद 10 फरवरी 2023 को शहजादी को अबु धाबी पुलिस को सौंप दिया गया था. 31 जुलाई 2023 को उसे फांसी की सजा सुनाई गई थी. याचिका में कहा गया था कि फरवरी 2023 में शहजादी का वीडियो के जरिये अपराध के कबूलनामे का बयान दर्ज किया गया. याचिका में आरोप लगाया गया था कि आरोप शहजादी ने ये कबूलनामा संबंधी बयान बच्चे के माता-पिता के प्रताड़ित करने की वजह से दिया।