देहरादून : विरोध करते हुए आज राज्य के ट्रेड यूनियनो सहित विपक्षी दलों एवं जन संगठनों ने आरोप लगाया कि ऐसे कोई भी कदम गैर क़ानूनी, जन विरोधी एवं मनमाना होगा। समाजवादी पार्टी कार्यालय में आयोजित किया गया प्रेस वार्ता में वक्ताओं ने कहा कि 16 मई को देहरादून के जिला अधिकारी ने खुद मान ली थी कि प्रशासन द्वारा तय की गयी बेदखली सूचि में गलतियां हैं। अनेक लोगों के नाम को शामिल किया गया है जो कई साल से रह रहे हैं।
इस सूचि को बनाने के लिए कोई भी क़ानूनी प्रक्रिया को नहीं अपनाया गया और यू.पी. पब्लिक प्रेमिसेस (एविक्शन ऑफ़ अनअथॉराइज़ड ऑक्यूपेशन) अधिनियम के सारे धाराओं का उलंघन हुआ है। सरकार का खुद का वादा था कि बस्तियों का नियमितीकरण होगा और प्रधानमंत्री जी का वादा था कि 2022 तक हर परिवार को घर मिलेगा, लेकिन फिर भी लोगों को उजाड़ा जा रहा है। गरीबों को हक़ देने के बजाय उनपर कार्यवाही की जा रही है जबकि सरकारी विभाग एवं निजी बिल्डरों द्वारा नदी के बीच में बनाये गए निर्माण जैसे कई निजी होटल, राज्य के विधान सभा, पुलिस अफसर कॉलोनी, इत्यादि पर कोई कार्यवाही नहीं की जा रही है। यह सब आचार संहिता के समय में किया जा रहा है जो आचार संहिता के मूल्यों के खिलाफ है। 30 मई 2024 को होने वाली जन आक्रोश रैली में इसके खिलाफ आवाज़ उठाया जायेगा। किसी को बेघर न किया जाये, सरकार अपने ही वादों के अनुसार नियमितीकरण करे या पुनर्वास करे और मज़दूर वर्गों के लिए घर का योजना पर युद्धस्तर पर काम करे।
प्रेस वार्ता में सीटू के राज्य सचिव लेखराज, समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय सचिव डॉ एस.एन. सचान, चेतना आंदोलन के शंकर गोपाल, किसान सभा के राज्य महामंत्री गंगाधर नौटियाल, सी.पी.आई.(एम) सचिव के अनंत आकाश, और सर्वोदय मंडल के हरबीर सिंह कुशवाहा शामिल रहे। उत्तराखंड महिला मंच, एटक और इंटक ने भी समर्थन किया।