उत्तराखंडगढ़वालदेहरादून

18 सूत्रीय मांगों को लेकर यूपीसीएल ने की प्रेस वार्ता।

देहरादून : उत्तराखंड पावर जूनियर इंजीनियर एसोसिएशन द्वारा अवर अभियन्ता संवर्ग के सदस्यों की अवर अभियंता से सहायक अभियंता के 8.33 प्रतिशत कोटे में प्रोन्नति, सहायक अभियंता से अधिशासी अभियंता के रिक्त पदों पर उच्च न्यायालय के अंतिम निर्णय के प्रतिबन्धाधीन प्रोन्नति किये जाने, 30/09/2005 तक सेवा में समस्त कार्मिकों को पुरानी पेंशन एवं जीपीएफ अनुमन्य किये जाने सहित 18 सूत्रीय मांगों को लेकर निगम प्रबंधन को मांगपत्र सौंपा गया था एवं अवगत कराया गया था कि दिनांक 11 जनवरी तक समाधान नहीं होने पर एसोसिएशन द्वारा सरकार, शासन का ध्यान आकर्षित करने एवं न्याय प्राप्ति की आकांक्षा से सांकेतिक ध्यानाकर्षण कार्यक्रम किया जायेगा।

निगम प्रबंधन द्वारा 05 जनवरी एवं 11 जनवरी को एसोसिएशन को वार्ता पर बुलाया गया परन्तु बिंदू संख्या 02(दो) पर कोई निर्णय नहीं निकल पाया। मांगपत्र का बिंदु 02 अवर अभियंता संवर्ग के सहायक अभियन्ता सदस्यों की अधिशासी अभियंता के रिक्त पदों पर प्रोन्नति से सम्बंधित है। प्रबंधन द्वारा सदस्यों के भविष्य से जुड़े संवेदनशील मामले को गम्भीरता से नहीं लेने एवं माoउच्च न्यायालय के निर्णय का पालन नहीं करने पर एसोसिएशन द्वारा 12जनवरी से प्रस्तावित कार्यक्रम यथावत रखा गया है।

सांकेतिक ध्यानाकर्षण कार्यक्रम के क्रम मे प्रेस वार्ता का आयोजन किया गया है। मांगपत्र के बिंदु संख्या 02 से सम्बन्धित एवं यूपीसीएल में सहायक अभियन्ता वरिष्ठता सूची विवाद में उच्च न्यायालय में अब तक हुई सुनवाई से सम्बंधित प्रमुख बिंदु निम्नवत हैं- यूपीसीएल द्वारा 03/01/2015 को सहायक अभियन्ताओं की वरिष्ठता सूची जारी की गयी। इस वरिष्ठता सूची पर दिनाँक 04/01/2015 को डीपीसी की गयी एवं 05/01/2015 को प्रोन्नति आदेश जारी किए गए।

वरिष्ठता सूची पर सीधी भर्ती एवं प्रोन्नत सहायक अभियन्ताओं के मध्य विवाद के चलते लोक सेवा अभिकरण (पीएसटी) में याचिका दायर की गयी।

लोक सेवा अभिकरण ने दिनांक 07.11.2017 को निगम द्वारा प्रस्तुत समस्त दस्तावेजों एवं तर्कों को संज्ञान में लेने के उपरान्त वरिष्ठता सूची, डीपीसी एवं प्रोन्नति आदेश निरस्त करने को कहा एवं सीधी भर्ती में प्रशिक्षण अवधि हटाते हुए पुनः वरिष्ठता सूची तैयार करने का निर्णय दिया। यूपीसीएल प्रबंधन द्वारा अभिकरण के फैसले पर उच्च न्यायालय में याचिका संख्या 579/2017 दायर की गयी।

उच्च न्यायालय द्वारा 13/12/2017 को वरिष्ठता सूची सीलबंद लिफाफे में जमा कराने का निर्णय दिया। यूपीसीएल द्वारा 14/03/2018 को सीलबंद लिफाफे में वरिष्ठता सूची उच्च न्यायालय में जमा की गयी। उच्च न्यायालय द्वारा दिनाँक 26/04/2018 को दिए निर्णय में स्पष्ट किया गया कि याचिका के अंतिम निर्णय के प्रतिबन्धाधीन अधिशासी अभियंता के पदों पर प्रोन्नति की जा सकती है।

यूपीसीएल द्वारा दिनाँक 16/05/2018 को अधिशासी अभियंता के रिक्त पदों में से कुछ पर प्रोन्नति की गयी।

ततपश्चात निगम प्रबंधन द्वारा प्रोन्नति नहीं की जा रही हैं एवं मनमाने तरीके से कार्यप्रभार दिए गए हैं।

उच्च न्यायालय द्वारा याचिका संख्या 132/2022 में दिनाँक 28/03/2022 को अधिशासी अभियन्ता के पदों पर कार्यवाहक प्रभार ज्येष्ठता के आधार पर देने का निर्णय दिया गया। एसोसिएशन द्वारा बार बार अधिशासी अभियंता के रिक्त पदों पर प्रोन्नति करने हेतु गुहार लगाई गयी जिस पर निगम प्रवंधन द्वारा अवगत कराया गया कि वरिष्ठता सूची सीलबंद लिफाफे में उच्च न्यायालय में जमा है, अतः बिना वरिष्ठता सूची के प्रोन्नति नहीं की जा सकती है।

उच्च न्यायालय द्वारा 31/03/2023 को सीलबंद लिफाफा खोलने का निर्णय दिया गया। उच्च न्यायालय द्वारा 19/04/2023 को वरिष्ठता सूची को बिना देरी के प्रभावी करने का निर्णय दिया गया। उच्च न्यायालय द्वारा दिनाँक 09/06/2023 के निर्णय में यूपीसीएल को 13/12/2017 के आदेश की अवज्ञा करने एवं नियमानुसार योग्य अभ्यर्थियों को प्रोन्नति से वंचित करने में सहायक मानते हुए 01लाख रुपये जुर्माना लगाया गया। उच्च न्यायालय ने दिनाँक 01/09 2023 के निर्णय में माना कि इस बात पर गम्भीर विवाद है कि यूपीसीएल द्वारा 09/06 2023 के आदेश का अनुपालन किया है या नहीं।

एसोसिएशन लगातार निगम प्रबंधन से मांग करता आ रहा है कि उच्च न्यायालय के निर्णय के अनुसार याचिका संख्या 579/2017 के अंतिम निर्णय के प्रतिबंधाधीन अधिशाषी अभियंता के रिक्त पदों पर प्रोन्नति की जाए, पर निगम प्रबंधन प्रोन्नति करने के बजाए प्रभारी व्यवस्था से काम चला रहा है एवं उसमें भी न्यायालय के निर्णय का अनुपालन नहीं किया जा रहा।

यूपीसीएल में अवर अभियंता संवर्ग के सहायक अभियंता सदस्यों की अधिशासी अभियंता के रिक्त पदों पर प्रोन्नति नहीं किये जाने से सम्बन्धित एसोसिएशन के सदस्यों के मन मे निम्न सवाल खड़े होते हैं कि अवर अभियंता संवर्ग के साथ अन्याय एवं सौतेला व्यवहार कब तक, सहायक अभियंता वरिष्ठता सूची मामले में मा०उच्च न्यायालय द्वारा अब तक दिये निर्णयों का पालन क्यों नही करता निगम प्रबंधन, अधिशासी अभियंता के वर्षो से रिक्त पड़े पदों पर प्रोन्नति क्यों नहीं की जा रही, निगम प्रबंधन द्वारा याचिका संख्या 132/2022 में दिनांक 28/03/2022 को दिए निर्णय का पालन क्यों नहीं किया जा रहा है।

निगम प्रबंधन द्वारा अवर अभियंता संवर्ग के सहायक अभियंता सदस्यों की प्रोन्नति रोककर अवर अभियंताओं की भी प्रोन्नति रोकी जा रही है। कुल मिलाकर अवर अभियंता संवर्ग के साथ पूर्णतः भेदभाव एवं पक्षपात की नीति अपनाई जा रही है। संवर्ग के सदस्यों का उत्पीड़न किया जा रहा है। इससे स्पष्ट जाहिर होता है कि निगम प्रबंधन की मंशा अवर अभियंता संवर्ग के सदस्यों के भविष्य से खिलवाड़ कर चहेतों को अनुचित लाभ पहुंचाना है।

यूपीजेईए द्वारा सदस्यों की वर्षों से रोकी गयी प्रोन्नति किये जाने, कार्मिकों को पुरानी पेंशन एवं जीपीएफ सुविधा अनुमन्य किये जाने सहित 18 सूत्रीय मांगों पर निगम प्रबंधन, शासन एवं सरकार का ध्यान आकर्षित कर न्याय प्राप्त करने की आकांक्षा से सांकेतिक ध्यानाकर्षण कार्यक्रम किया जा रहा है।

प्रेस वार्ता में यूपीजेईए के केन्द्रीय अध्यक्ष आनन्द रावत, केन्द्रीय महासचिव पवन रावत, केन्द्रीय वरिष्ठ उपाध्यक्ष राहुल अग्रवाल, आजीवन संरक्षक एवं संस्थापक अध्यक्ष जीएन कोठियाल, केन्द्रीय वरिष्ठ सदस्य रविन्द्र सैनी, प्रान्तीय अध्यक्ष सुनील उनियाल आदि मौजूद रहे।

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