देहरादून : किडजी रेसकोर्स स्कूल का एनुअल डे फंक्शन प्रकृति के विभिन्न अंगों को दर्शाते हुए “नेचर फेस्ट” थीम पर संपन्न हुआ । इस अवसर पर छोटे-छोटे बच्चों द्वारा दी गई प्रस्तुतियों ने ऑडिटोरियम में मौजूद सभी का मन मोह लिया।
किडजी स्कूल का यह तीसरा एनुअल डे फंक्शन संस्कृति विभाग के ऑडिटोरियम में छोटे-छोटे बच्चों की प्रस्तुतियों से आरंभ हुआ जिसमें बतौर मुख्य अतिथि मैनेजिंग डायरेक्टर दून इंटरनेशनल स्कूल गगन जोत मान, चाइल्ड साइकोलॉजिस्ट डॉ मुकुल शर्मा, ज़ीलर्न लिमिटेड से वैभव सिंह एवं सपना तेओतिया मौजूद रहे ।
इस मौके पर गगन जोत मान ने कार्यक्रम की और स्कूल स्टाफ की सराहना करते हुए कहा की देख के बहुत अच्छा लगता है की कितनी कम उमर से बच्चों को संयम, नियम और डिसिप्लिन समझा रहे है। इस मौके पर डॉक्टर मुकुल शर्मा ने कहा कि वे समस्त स्कूल के अधिकारियों को शुभकामनाएं जो की लगातार बच्चों के जीवन निर्माण के लिए काम कर रहे हैं और माता-पिता से आग्रह है कि उनके संपत्ति घर मकान गाड़ियां नहीं है बल्कि बच्चे असली में उनकी संपत्ति है जिनको संस्कार सभ्यता और संस्कृति का पाठ पढ़ना माता-पिता की नैतिक जिम्मेदारी है।
रिश्तो को निभाने की सीख माता-पिता के साथ-साथ दादा-दादी नाना नानी और समस्त परिजनों के द्वारा दी जानी ही उत्तम रहती है माता-पिता का कर्तव्य है कि अपने बच्चों के जीवन निर्माण में अपना पूर्ण योगदान दें जिससे वह परिवार के प्रति और समाज के प्रति जागरूक हो सके और एक जिम्मेदार नागरिक बन पाए मैं पुनः माता-पिता से संयम रखते हुए संबंधों को समझते हुए और वैचारिक मतभेदों को दूर रखकर अपने बच्चों को समाज के प्रति तैयार करें।
इस मौके पर बच्चों ने प्रकृति के विभिन्न अंगों को दर्शाते हुए फ्लावर डांस, रेन डांस, मंकी डांस, इंसेंट डांस , नेचर प्रोटेक्शन डांस, पीकॉक डांस, आदि सहित कुल मिलाकर नौ परफॉर्मेंस प्रस्तुत की । इन नौनिहालों की परफॉर्मेंस को देख वहां पर मौजूद सभी दर्शक मंत्र मुग्ध हो गए। छोटे-छोटे बच्चे जब स्टेज पर आकर अपने नन्हे नन्हे हाथों पैरों से डांस करके एक संदेश दे रहे थे तो वह सभी को लुभा रहा था। इस मौके पर कार्यक्रम का संचालन प्रिंसिपल मेघा खरबंदा ने किया। किडजी स्कूल के मैनेजिंग डायरेक्टर अनायास सुनेजा ने कार्यक्रम में मौजूद सभी अतिथियों को धन्यवाद ज्ञापित किया।
इस मौके पर प्रबलीन कौर, काजल धीमान , हरलीन कौर, नूपुर आर्य, मेघना गुप्ता आदि अध्यापिकाएं बच्चों के साथ मौजूद रहीं , जिन्होंने बच्चों के साथ समन्वय स्थापित करने में सहयोग दिया।