देहरादून : दून लाईब्रेरी हाल में आज डीएवी के पूर्व प्रो डाक्टर एस के कुलश्रेष्ठ एवं डाक्टर दिनेशप्रतापसिंह की स्मृति में आयोजित व्याख्यानमाला के तहत दो ज्वलन्त बिषयों जिनमें ( जलवायु परिवर्तन के दौर में हिमालय) तथा (पहाड़ व नागरिक )पर दून साइंस फोरम तथा दिनेशप्रताप मैमोरियल टस्ट के संयुक्त तत्वाधान में व्याख्यानमाला आयोजित की गयी ,जिसके मुख्य वक्ता जानेमाने भूर्गभशास्त्री प्रो एस पी सती एवं जेएनयू भूगोल विभागाध्यक्ष रहे प्रो सच्चिदानन्द सिन्हा थे ।
इस ज्ञानवर्धक एवं समसामयिक कार्यक्रम में हम लोगों को प्रतिभाग करने का अवसर मिला । लगभग तीन घण्टे चले व्याख्यानों की श्रृखंला ने श्रोताओं को एक दिशा देने का कार्य किया ।
अपने व्याखान में प्रो सती ने मानव जनित क्रियावन तथा अनियोजिता के परिणामस्वरूप प्रकृति के अन्धाधुन्ध दोहन से पहुंच रहे नुकसान तथा इसके दुष्परिणामों के रूप में असमय बर्षात ,बाढ़,भूस्खलन की आये दिन हो रही घटनाओं के रूप में देखा जा सकता है । प्रो सती ने बताया कि जलवायु परिवर्तन आज के युग का महत्वपूर्ण प्रश्न है जिसके परिणामस्वरूप ग्लैशियरों का पिघलना तथा पीछे हटने की घटना तेजी से हो रही है ।उन्होंने बताया है कि हिमालय भूकम्प की दृष्टि से सर्वाधिक संवेदनशील क्षेत्र है ,बढ़ते मानव जनित क्रियाकलापों ने जैसे इस क्षेत्र में भीमकाय बांधों की एक लम्बी श्रृंखला ,अनियोजित ढ़ग से आल वैलवेदर रोड़ ,सड़कों का अनियोजित तरीके से निर्माण एवं भीमकाय परियोजनाओं के नाम से प्रकृति के साथ निर्ममता ,निर्माणाधीन सड़कों ,बांधों आदि का मलवा नदी ,नालों में डम्पिंग ,पेड़ आदि बनस्पति का अनाधुन्ध दोहन एवं कटान,चट्टानों की अवैज्ञानिक ढंग से कटिंग ,जगह जगह सुरंगों का निर्माण तथा इनके लिऐ बिस्फोटक सामग्रियों का इस्तेमाल किया जाना शामिल है , हमारे सामने अनाप सनाप निर्माण के चलते जोशीमठ जैसे ऐतिहासिक शहर की स्थिति सामने है ,जो न जाने कब बिलुप्त हो जाऐगा ,इसके साथ ही उत्तराखण्ड के अनेक शहर हैं जो अनियोजित विकास के कारण खतरे की जद्द में हैं ,इसी बर्षात में अतिबृष्टि ने उत्तराखण्ड सहित शिमला ,कूल्लू ,मनाली आदि शहरों तथा कस्वों में भारी तबाही देखने को मिली है । बर्ष 2013 की केदारनाथ त्रासदी जलवायु परिवर्तन तथा मानवजनित घटनाओं का परिणाम है ,जिसके चलते कई पुराने कस्वे मटियामेट हुऐ ,सोनप्रयाग से श्रीनगर के बीच सड़कों एवं निर्माणाधीन बांध परियोजनाओं के नदी, नालों,खालों में पड़े मलवे के कारण बाढ़ ने भारी तबाही मचाई,केदारनाथ त्रासदी में हजारों जाने गई , 2020 में जोशीमठ एनटीपीसी में 200 मजदूर जिन्दा दफन हुऐ इससे पहले उत्तरकाशी भूकम्प ,1970 बेलाकूचि बाढ़ ,1998 मद्दमेश्वर बाढ़ की त्रासदी हमारे सामने ।प्रो सती ने कहा है कि पर्यावरण के प्रति जागरूकता का सवाल तथा सरकारों का विकास एवं पर्यावरण की बीच सन्तुलन का सवाल है ।
परिवर्तन के दौर में हिमालय पहाड़ नागरिक बिषय पर बोलते हुऐ जेएनयू भूगोल विभाग पूर्व अध्यक्ष एवं सरकार की विभिन्न समितियों में रहे प्रो डाक्टर सच्चिदानन्द सिन्हा ने कहा है कि कारपोरेटपरस्त नीतियों के परिणामस्वरूप वर्तमान व्यवस्था में नागरिक कि भूमिका गौंण होती जा रही है ,नव उदारतावादी नीतियों ने नागरिक को बाजार का हिस्सा बना दिया है ,वह बाजार के रहमोकर्म पर है । पहले बाजार उसके जरूरतों के हिसाब हुआ करता था ,अब बाजार के हिसाब से वह चलने के लिऐ मजबूर हैं ।1991 के बाद अपनाई गई नव उदारतावादी नीतियों के बाद वर्तमान में ये नीतियां तेजी लागू कि जा रही है ,क्योंकिं अब सरकारेंन के नाम पर विकेद्रिकरण पर खुलेआम निजीकरण कि प्रक्रिया को छूट देकर अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ रही है ।उन्होंने कहा है कि देश में संसद सर्वोच्च है , किन्तु संसद को दरकिनार करते हुऐ नई शिक्षा नीति ,लेवर ला ,किसान बिल , पर्यावरण, भूमि अधिग्रहण विल,राष्ट्रीय राजमार्ग विल लाकर आम नागरिक के बुनियादी अधिकारों पर हमला किया जा रहा है ।यह तर्क दिया जा रहा है कि वक्त के हिसाब से इन कानूनों कि अतिआवश्यकता है ,हकीकत यह है कि इनके माध्यम से सरकार कारपोरेट को फायदा पहुँचाना चाहती है ।आपको मालूम होगा राष्ट्रीय राज मार्ग बिल के माध्यम से यह प्रावधान किया गया है ,राजमार्गों के दोनों तरफ दोनों ओर रेस्तरां ,ढा़बे अवैध घोषित किये गये हैं , उन्हें इस प्रावधान के तहत कभी हटाया जा सकता है । इस प्रकार अकेले पहाड़ से हजारों हजार लोग अपनी रोजी रोटी से हाथ धो बैठोगे । उन्होंने कहा है संविधान को कमजोर किया जा रहा है ,जबकि संविधान ने हर नागरिक को समान अधिकार दिये हैँ ।संविधान के परिणामस्वरूप हाशिऐ पर खड़ा हर नागरिक को आगे आने का मौका मिला तथा महिलाओं आगे बढ़ने का अवसर मिला । संविधान ने हमें वोट का अधिकार दिया तथा इस वोट के माध्यम से अपने प्रतिनिधियों को चुनने तथा सरकार बनाने का अधिकार दिया किन्तु चुनि हुई सरकार जनता की सेवा करने के बजाय कारपोरेट जगत कि हि सेवा करती आ रही है।अनुभव बतता है कि हमारे हुकमरानों नागरिक नहीं दास चाहिए ।इस साजिश के एकजुटता के साथ संघर्ष करना होगा । अतिथियों का स्वागत डा अराधना सिंह ने किया उन्होंने कहा ऐसे कार्यक्रम करने की उनकी दिलितमन्ना थी ।डाक्टर कुलश्रेष्ठ के बारे में उनके शिष्य रहे पूर्व निदेशक डाक्टर बिजय बिर सिंह तथा डाक्टर दिनेशप्रतापसिंह के बारे में डाक्टर प्रेम बहुखण्डि ने बिस्तार कार्यक्रम में हिस्सा ले रहे लोगों को बताया ।
कार्यक्रम का समापन मधुर कुलश्रेष्ठ ने किया,इस कार्यक्रम में रंगकर्मी सतीश धौलाखण्डि ने जनगित कि प्रस्तुति की ,कार्यक्रम का संयोजन दून सांइस फोरम के श्री विजय भट्ट ने किया ।
(दिवगन्त डाक्टर कुलश्रेष्ठ एवं डाक्टर दिनेश प्रतापसिंह दून साइंस फोरम में सक्रिय रहे हैं ,डाक्टर एस एन सचान जो दून सांइस फोरम से जुड़े रहे ,कार्यक्रम में अन्य शिक्षाविदों के साथ मौजूद रहे।