उत्तराखंडगढ़वाल

कर्मवीर जयानंद भारतीय 2025 स्मृति सम्मान से विभूषित हुए वृक्षमित्र डॉ त्रिलोक चंद सोनी।

कोटद्वार : शिक्षा व पर्यावरण संरक्षण, संवर्द्धन, पौधारोपण के क्षेत्र में निरंतर कार्य कर रहे पेशे से शिक्षक एवं वृक्षमित्र के नाम से अपनी पहिचान बनाने वाले पर्यावरणविद् डॉ त्रिलोक चंद्र सोनी को ब्लाक द्वारीखाल के गुमखाल स्थित सदभावना वैडिंग सभागार में 6 सितंबर 1932 गढ़वाल स्वतंत्रता संग्राम ऐतिहासिक पौड़ी क्रांति के नायक उत्तराखंड रत्न से विभूषित कर्मवीर जयानंद भारतीय के सम्मान में 8 वें शैलशिल्पी पराक्रम दिवस समारोह का भव्य आयोजन किया गया। इस समारोह के मुख्य अतिथि द्वारिखाल ब्लॉक प्रमुख बीना राणा, विशिष्ट अतिथि एडवोक अवनीश नेगी, समाजसेवी डॉ अरुण कुकसाल, भारत भूषण साह, जयानंद भारती की पुत्रवधू मनूली देवी अध्यक्षता विजेंद्र रिंगोडी ने की और दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का सुभारंभ किया तथा नयार घाटी म्युजिकल ग्रुप ने देश भक्ति रंगारंग प्रस्तुति से समा बादकर रखी। इस अवसर पर पर्यावरणविद् वृक्षमित्र डॉक्टर त्रिलोक चंद सोनी को स्मृति चिन्ह, प्रशस्ति पत्र व शॉल ओढ़ाकर वर्ष 2025 का शैलशिल्पी कर्मवीर जयानंद भारतीय स्मृति सम्मान से विभूषित किया गया। वहीं चर्चित अंकिता भंडारी केस अभियोजक एडवोकेट अवनीश नेगी भी सम्मानित हुए तथा शैलशिल्पी विकास संगठन के प्रदेश अध्यक्ष विकास कुमार आर्य ने कहा कर्मवीर जयानंद भारती की जीवनी हमें यह सीख देती हैं समाज के लिए कार्य करने वालों का नाम इतिहास के पन्नो में अमर रहता है ऐसे ही हमारे बीज में वृक्षमित्र डा त्रिलोक चंद्र सोनी है जिन्होंने अपना पूरा जीवन प्रकृति की सेवा में समर्पित कर दिया हैं ऐसे व्यक्तित्व को सम्मानित कर हमारी शैलशिल्पी विकास संगठन गौरवान्ति महसूस कर रही हैं वहीं क्षेत्र प्रमुख बीना राणा ने कहा डॉ सोनी के प्रकृति के प्रति त्याग समर्पण से हमारे बच्चो को प्रेरणा लेनी चाहिए। डॉ सोनी ने क्षेत्र प्रमुख बीना राणा को तुलसी का पौधा उपहार में भेंट किया और समारोह में शामिल लोगों से एक एक पौधा उपहार स्वरूप धरती में लगाने का अनुरोध किया। कार्यक्रम में डा सतीश प्रकाश, मनवर लाल भारती, प्रमोद चौधरी, केशीराम निराला, महिपाल अमोल, किरन सोनी, अंजली,गीता सिंह, बिरजा देवी, शीतल, संदीप कुमार, नरेंद्र भारती, शिवकुमार, रणजीत सिंह, धर्मेंद्र आर्य, जयदेव मानव, डॉ मनोज आर्य, चंद्रपाल शाह आदि उपस्थित थे।

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