उत्तराखंडदेहरादून

समाज में सामंजस्य स्थापित करने पर ही घटनाएं रुकेंगी – डॉ.जे.एस. बुटोइया।

चमोली की घटना के दोषियों को गिरफ्तार करे पुलिस - दिलीप चंद्र आर्य।

उत्तराखंड :  एससी एसटी ओबीसी वैचारिक महासभा की एक आवश्यक बैठक देहरादून में प्रदेश अध्यक्ष दिलीप चंद्र आर्य की अध्यक्षता में आयोजित की गई जिसमें उत्तराखंड प्रदेश में हो रही भेदभाव की सामाजिक घटनाओं के प्रति चिंता जाहिर की गई। अप

सभी वक्क्ताओं के द्वारा उसकी निंदा की गई और सरकार से मांग की गई कि चमोली में हुई घटना के दोषियों को शीघ्र अति शीघ्र गिरफ्तारी की कार्यवाही की जाए। ताकि आगे आने वाले समय में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति ना हो। बैठक में देहरादून की जिला कार्यकारिणी का भी गठन किया गया।

जिसमें अध्यक्ष मदनलाल कोषवाल एवं महासचिव राजेंद्र सिंह को सर्वसम्मति से निर्वाचित घोषित किया गया और शेष कार्यकारिणी का भी चयन किया गया। सभी वक्ताओं द्वारा देश में संविधान में दिए गए सभी अधिकार एवं कर्तव्यों की जानकारी के बावजूद विभिन्न संगठनों के निरंतर कार्य करने के पश्चात भी यदि सरकारें भेदभाव को नहीं रोक रही है या रोक नहीं पा रही हैं या रोकना नहीं चाहती है, इस पर गंभीर चिंता जाहिर की गई।

महासभा को संबोधित करते हुए मू. सभ्यता संघ के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य डॉ. जितेन्द्र सिंह बुटोइया ने कहा कि प्रकृति के द्वारा मनुष्य को दो कान एवं एक नाक दिए गए हैं, जिसका यह तात्पर्य है कि हम अधिक से अधिक सुनें और जो उचित एवं न्यायोचित हो उसी को बोलें। सलाह देने वाले तो बहुत लोग होते हैं लेकिन उचित कार्यवाही कौन करेगा ? अर्थात पहले हमें उन व्यक्तियों को तैयार करना होगा जो एक दूसरे से प्राथमिक स्तर पर संवाद स्थापित करेंगे।

और उस संवाद को सुसंवाद अर्थात एक बेहतर से बेहतरीन परिचर्चा के स्तर तक पहुंचाएंगे और जब इनकी संख्या होगी तो उन्हें प्रबोधन के पश्चात प्रशिक्षण में लाकर विभिन्न क्षेत्रों का प्रशिक्षण दिया जाएगा। उन्होंने यह भी जोड़ा कि जिस प्रकार से शिक्षक, इंजीनियर, डॉक्टर आदि बनने के लिए प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है। उसी प्रकार संगठन, समाज व सरकार आदि चलाने के लिए भी प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है।

इन प्रशिक्षणों में जो व्यक्ति बेहतरीन कार्यकर्ता बनकर उभरता है, उसकी सराहना की जानी चाहिए और कसौटी पर खरा उतरने के उद्देश्य से ऐसे व्यक्ति को नेतृत्व सोंपा जाना चाहिए। लेकिन इस बात में विशेष रूप से यह भी उल्लेखनीय है कि नेतृत्व करने वाले को अर्थात लीडर को विभिन्न विचारधारा एवं माइंडसेट के लोगों एवं समूह से सामंजस्य स्थापित करते हुए सौहार्दपूर्ण वातावरण में सामाजिक न्याय के सिद्धांत पर चलते हुए सभी के कल्याण के लिए जिसमें कोई भेदभाव ना हो, ऐसा प्रयास निरंतर करते रहना चाहिए। उन्होंने उपस्थित महानुभावों से आग्रह भी किया कि इस पर ध्यान दें और चेताया भी कि यदि ऐसा नहीं करते हैं तो यह घटनाएं समाज में रोक पाना असंभव सा है, इसके लिए हमको सामाजिक परिवर्तन करते हुए व्यवस्था परिवर्तन और सामाजिक लोकतंत्र की ओर बढ़ना होगा।

इस अवसर पर संयुक्त शिक्षा निदेशक प्रारंभिक शिक्षा उत्तराखंड रघुनाथ लाल आर्य, भारतीय दलित साहित्य अकादमी के प्रदेश अध्यक्ष प्रो. जयपाल सिंह, महासभा के प्रांतीय महासचिव संजय सैमुअल, रामबाबू विमल, रामलाल शाह, मोहनलाल, दिनेश धीमन, मक्खन लाल शाह, उमेश कुमार, बंटी सूर्यवंशी, देवेंद्र सिंह, महेंद्र कुमार, दीपा, मीना दिग्विजय सिंह, मनीष कुमार, गौरव इंजी. सत्येंद्र कुमार, दीपक कुमार, मनमोहन भारती, इंजी. सुनीत सिंह, शीशपाल, रजा, अशरफ अंसारी, परवेज, लोकेंद्र सिंह, मुनेश चौधरी, बिहारी लाल, सुरेंद्र जगपाल, नरेंद्र लाल इत्यादि उपस्थित रहे।

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