उत्तर प्रदेश

शिक्षा की चौखट पर व्यापार का ताला : नसीम अहमद।

नसीम अहमद : स्योहारा,निजी स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता के नाम पर जो फीस वसूली जाती है, वह अक्सर अभिभावकों के लिए एक बड़ी चुनौती बन जाती है। इस चुनौती का सामना करने के लिए, अभिभावकों को अपनी जेबें ढीली करनी पड़ती हैं, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति पर गहरा असर पड़ता है।

पुस्तकों का बदलता खेल

जहां पहले बच्चे पुरानी किताबों से पढ़ाई कर लेते थे, वहीं अब स्कूलों ने हर साल नए कोर्स और किताबें लागू कर दी हैं। इससे अभिभावकों को नए कोर्स की किताबें खरीदनी पड़ती हैं, जो केवल एक विशेष बुक सेलर से ही मिलती हैं। इस तरह के एकाधिकार से न केवल अभिभावकों पर आर्थिक बोझ पड़ता है, बल्कि यह भी संकेत देता है कि स्कूल और बुक सेलरों के बीच कुछ अनुचित समझौते हो सकते हैं।

यूनिफॉर्म और इवेंट्स की अनिवार्यता

स्कूल यूनिफॉर्म और इवेंट्स के नाम पर भी अभिभावकों से अतिरिक्त धनराशि वसूली जाती है। यूनिफॉर्म के लिए निर्धारित दुकानों से महंगी यूनिफॉर्म खरीदने की अनिवार्यता और स्कूल इवेंट्स के लिए अलग से शुल्क लेना, यह सब शिक्षा के व्यावसायिकीकरण की ओर इशारा करता है।

शिक्षा का व्यापारीकरण न केवल अभिभावकों के लिए एक आर्थिक बोझ है, बल्कि यह बच्चों के भविष्य और देश के विकास पर भी एक गहरा प्रभाव डालता है। इसलिए, यह समय है कि हम सभी मिलकर शिक्षा को व्यापार नहीं बल्कि एक अधिकार के रूप में देखें और इसे सभी के लिए सुलभ बनाएं। शिक्षा के इस पवित्र मंदिर को व्यापार के ताले से मुक्त करना होगा, ताकि ज्ञान की देवी सरस्वती का आशीर्वाद सभी तक पहुंच सके।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button