देहरादून : मुख्यमन्त्री उतराखण्ड पुष्कर धामी ने केवल फिर से रि डैवलपमैंट का उद्घाटन किया बल्कि इस योजना के लिये लगभग 100 करोड़ रूपये भी बढा़ये ,इस प्रकार योजना अब 278 करोड़ हो गई है ,जिस प्रकार योजना पर कार्य ठप्प पड़ा हुआ आंशका जताई जा रही है ,योजना 500 करोड़ तक जा सकती है ,इसमें कुल मिलाकर लाभ कम्पनी तथा चन्द उन लोगों को होगा जो योजना को देर करने लिऐ सीधे तौर पर जिम्मेदार है, नुकसान सिर्फ प्रभावितों को होगा जो पिछले छ सालों से दर – दर भटक रहे है, इस योजना का उद्घाटन बर्ष 2016 में पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री हरिश रावत ने उद्दघाटन किया था ।
इन्दिरा मार्केट रि -डैवलपमैंट प्लान क़ो लागू करने के लिए अनेक स्तरों से सकारात्मक पहल के बावजूद भी तथा _समाचारपत्त्रों अमर उजाला ,दैनिक जागरण ,सहारा खासकर हिन्दुस्तान समाचारपत्र के हिन्दी संस्करण तथा वैब पोर्टल लोक साक्ष्य द्वारा ने इस महत्वाकांक्षी योजना से प्रभावितों की समस्या तथा एम डी डी ए एवं कम्पनी स्तर पर हुई लापरवाही को बखूबी ढ़ंग से उठाने तथा खासकर हिन्दुस्तान समाचार के संवाददाताओं ने तो इस मुद्दे को पिछले विधान सभा चुनावी मुद्दों में शामिल किया था तथा निरन्तर इस मुद्दे को उठाया परिणामस्वरूप राजपुर रोड़ के विधायक जी के रूख में सकारात्मक परिवर्तन आया है । माना जा रहा था यह परिवर्तन निश्चित रूप से सभी प्रभावितों के हित में होगा । पूर्व में दुकानों /कार्यालयों का ध्वस्तीकरण कर लगभग 5 साल पहले गांधी पार्क के पास अस्थाई मार्केट में शिफ्ट हुऐ लोगों को सर्वाधिक राहत मिलेगी ।
आज बर्ष 2024 है । 2016_ में सम्पन्न एम ओ यू के बावजूद अब 7 बर्ष से अधिक का समय गुजर जाना समझौते की भावनाओं के विपरीत है ।यदि इन बर्षों का सही उपयोग होता तो अब तक इस सम्पूर्ण क्षेत्र का पूरा रिडैवलपमैंट पुराने बजट यानि 178 करोड़ में हो जाता तथा कार्य समय पर पूर्ण होकर सभी लाभार्थी अपनी – अपनी दुकानों /कार्यालयों में आ चुके होते तथा इनका कारोबार भी पूर्ववत हो जाता ।किन्तु भ्रान्तियों ,लिहाजदारी तथा तटस्थता तथा एम डी डी ए व कम्पनी द्वारा कार्य में लापरवाही एवं कोताही के परिणामस्वरूप ये दिन देखने पड़े । कभी किसी भी प्रभावित (स्टोक होल्डर ) ने अपने एम ओ यू का पुनर्नावलोकन तक नहीं किया कि सच्चाई क्या है?
हमारे राज्य में 2016 के बाद स्मार्ट सिटी का नारा जोर शोर से आया ,देहरादून स्मार्ट सिटी घोषित होने के बाद इसका कार्य जोरों पर है ।कोरपोरेट हितों के लिये हमारी सरकार एवं प्रशासन द्वारा परेड ग्राउण्ड जैसी महत्वपूर्ण धरोहर को बदरंग कर दिया है ।ऐसा लगता है हमारी सरकार व प्रशासन को आमजन के हितों के प्रति कोई जबाबदेही नहीं रह गई है ।परेड ग्राउण्ड जो हमारे नगर क्षेत्र का सबसे बड़ा बर्षाती पानी का भण्डारण है । देरसबेर क्रकींट क्षेत्र में बदल जाऐगा तथा जल श्रोत सुख जाऐगा । जब पानी ही नहीं रहेगा तो स्मार्ट होकर क्या करेंगे ? हां आज स्मार्ट सिटी वाले बूथों तथा स्मार्ट पार्किग व टायलेट्स के माध्यम आम जनता से हरेक दिन लाखों रूपये कमा रहे हैं । निश्चित है कि स्मार्ट सिटी के नाम पर भविष्य में नीजि कम्पनियों द्वारा अनाप सनाप टैक्स का भार जनता पर थोपा जाऐगा ।
इन्दिरा मार्केट रि डैवलममैंट प्लान जो घण्टाघर राजपुर से लगे गांधी पार्क ,लोकल बस स्टैंड ,इन्दिरा मार्केट लैन्सडाउन चौक तक चार चरणों में विकसित किया जाना है, यह परियोजना वैसे तो मूलरूप से 2003 में एम डी डी ए द्वारा “द माल योजना” के रूप में प्रस्तावित की गई थी ,जिसके लिये यहाँ स्थित ऐतिहासिक पीडब्ल्यूडी गेस्ट हाऊस तथा नगरपालिका गेस्ट हाऊस तथा कर्मचारियों के क्वाटरों को धवस्त किया गया तथा अनेक आपत्तियो के कारण यह क्षेत्र यह अलग अलग चरणों में विकसित किया जा रहा है ।जिसका एक भाग हेमवतीनंदन बहुगुणा एम डी डी ए शापिंग काम्प्लेक्स है, दूसरा हिस्सा इन्दिरा मार्केट रि डैवलपमेंट प्लान के रूप में प्रस्तावित हुआ ,हम शुरू से रि डैवलपमैंट के पक्षधर नहीं थे ,बल्कि बर्ष 2003 से हमारे आन्दोलन की पुरजोर मांग रही कि हमें शासनादेश के अनुरूप नजूल भूमि में फ्री होल्ड का अधिकार दिया जाये ,सरकार ने इस भूमि से लगे पटेल मार्केट न्यू मार्कट तथा सड़क पार राजा माण्डा हाऊस की भूमि को वहाँ बसे लोगों को उनके पक्ष में फ्री होल्ड कर दिया किन्तु इन्दिरा मार्केट, लोकल बस स्टैंड के स्टोक होल्डरों के बर्ष 1999 में 25% रूपये एम डी डी ए में जमा होने के बावजूद वे हाथ मलते रह गये, सरकारी स्तर से यहां के लोगों के साथ निरन्तर भेदभाव होता रहा ।इसप्रकार शुरू से अन्त तक यह सिलसिला बदस्तूर जारी है। परिणामस्वरूप यहाँ के स्टोक होल्डर्स सदैव आशंकित रहे ।
बर्ष 2014 में फिर से इन्दिरा मार्केट रि- डेवलपमेंट की कार्यवाही के बावजूद भी हमारा रूख ज्यों का त्यों रहा ,किन्तु इस बीच इन्दिरा मार्केट एसोसिएशन ने स्थितियों का आंकलन कर रि- डैवलपमैंट पर समझौता कर दिया ,जिसके तहत इस सम्पूर्ण क्षेत्र को पी पी मोड पर चार चरणों में विकसित किया जाना था । इस समझौते एवं इस सन्दर्भ में जारी शासनादेशों का आंकलन करते हुऐ बर्ष 2015-016में बस स्टैण्ड में काफी दिनों तक आन्दोलन चला ,एम डी डी ए ने त्रुटियों को सुधारते हुऐ लोकल बस स्टैंड मार्केट के स्टोक होल्डरों के पक्ष में शासन को संशोधित शासनादेश जारी करने का प्रस्ताव भेजा जिसे स्वीकृति मिली ।हमने जनहित में सभी स्टोक होल्डरो /किराऐदारों/बर्षो कार्यरत लोगों के हितों को देखते हुऐ तथा टैक्सी/वाहनों स्थाई/वैकल्पिक व्यवस्था की मांग रखी ,जिसमें अधिकांश मागों पर सहमति बनी उपस्थित प्रतिनिधियों के हस्ताक्षर के बाद सहमति षत्र जारी हुआ। तत्पश्चात एम डी डी ए ने स्टोक होल्डरों के साथ एम ओ यू की कार्यवाही का सम्पादन किया गया।इस सम्पूर्ण समझौते में यह भी स्पष्ट है कि बिना रि डैवलपमैंट कार्य में व्यवधान डाले सभी आपतियों का निस्तारण गुणदोष के आधार पर उच्चस्तरीय कमेटी सुनिश्चित करेगी ।इस योजना से लगभग 550से भी अधिक दुकानदारों,कब्जाधारियों ,फुटपाथ व्यवसायियों का भविष्य जुडा हुआ जिन्हें इस रि डैवलपमैंट योजना के तहत सुसज्जित एव आधुनिक सुविधा से सम्पन्न दुकानों का बर्ष 2000सर्किल रेट के हिसाब से अलग अलग श्रेणियों में आंवटन किया जाऐगा ,जिसका भुगतान लाखों में नहीं हजारों में होना है ।
अन्त में सरकार ,एमडीडीए ,कम्पनी से फिर से रि डैबलपमैंन्ट प्लान काम बिना देर किये शुरू करने कि मांग करते हैं अन्यथा प्रभावितों के समक्ष आन्दोलन का विकल्प खुला है ।