उत्तराखंडदेहरादून

न्यायाधीशों को अपनी पहचान से बाहर आकर – क्या नहीं करना पर चलना होगा – प्रो. विनोद आर्य।

सभी कार्मिकों की सेवा शर्तों के लिए अधिनियम बनाएं सरकारें - डॉ. बुटोइया।

देहरादून  : मूलनिवासी कर्मचारी कल्याण महासंघ उत्तराखंड के राज्य सम्मेलन में सफल लोकतंत्र के लिए प्रातिनिधिक नौकरशाही और प्रातिनिधिक न्यायपालिका आवश्यक है। विषय पर आयोजित कार्यक्रम में वक्ताओं ने कहा कि भारत का संविधान के अनुच्छेद 312 के तहत उच्चतम एवं उच्च न्यायालय में सभी वर्गों का का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने के लिए न्यायिक सेवा आयोग का गठन किया जाए।

सम्मेलन में बोलते हुए सेंट्रल विश्वविद्यालय भटिंडा पंजाब के प्रो. विनोद आर्य ने कहा कि राज्यों से लेकर केंद्र स्तर तक के न्यायाधीशों को अपने विशेष पहचान से बाहर निकलना होगा उनकी पहचान न्यायाधीश की नहीं बल्कि न्याय देने वाले की होगी तभी जाकर के भारत के सभी वर्गों के लोगों को न्याय मिल सकेगा। उन्होंने विभिन्न समस्याओं का जिक्र करते हुए उनके समाधान पर भी विस्तृत रूप से जानकारी दी और कहा कि हम लगातार इस विषय पर चर्चा एवं सकारात्मक प्रयासों के कार्य में लगे हैं।

इससे पूर्व कार्मिकों की राजकीय सेवा संविदा ठेकेदारी एवं आउटसोर्सिंग की सेवा शर्तों के लिए अधिनियम बनाए जाने के लिए विशेष सत्र का आयोजन किया गया। मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए उत्तराखंड एससी एसटी एम्पलाईज फैडरेशन के वरिष्ठ उपाध्यक्ष डॉ. जितेन्द्र सिंह बुटोइया ने कहा कि अधिनियम ना होने के कारण आरक्षित वर्ग के बहुत सारे अधिकारियों कर्मचारियों और शिक्षकों के साथ अक्सर समस्याएं आती रहती हैं और उनका समय से निराकरण नहीं हो पाता है। उनके साथ नाइंसाफी, असमानता का व्यवहार किया जाता है। जिसके कारण कार्य प्रभावित होता है।

समाज में असमानता की भावना बढ़ती है। इसलिए भारत का संविधान के अनुच्छेद 309 का अनुपालन करते हुए सामाजिक आर्थिक सुरक्षा और न्याय प्रदान करने के लिए सेवा शर्तों के लिए अधिनियम बनाया जाना नितांत आवश्यक है। जिससे राज्य एवं राष्ट्र का कल्याण संभव होगा और चहुमुखी विकास हो सकेगा। कार्मिकों की उत्पादकता बढ़ेगी और देश में खुशनुमा वातावरण की स्थापना करने में इसका महत्वपूर्ण योगदान होगा। सरकार को चाहिए कि वह सभी कार्मिक संघों से विचार विमर्श कर एक सशक्त अधिनियम को बनाए।

 

अखिल भारतीय सफाई मजदूर संघ के राष्ट्रीय कार्यवाहक अध्यक्ष व उत्तराखंड प्रभारी विशाल बिरला ने भी अपने वक्तव्य में सेवा शर्तों के लिए कानून बनाने एवं न्यायिक आयोग का गठन करने की जबरदस्त पैरवी की और विभिन्न संस्मरण भी सुनाएं जिससे इनकी सभी वर्गों के प्रतिनिधित्व के लिए बहुत अधिक आवश्यकता है। सभी संगठनों की संयुक्त बैठक बुलाकर चर्चा परिचर्चा करने का भी सुझाव दिया।

सम्मेलन का उद्घाटन राष्ट्रीय सामाजिक न्याय कृति मंच के अध्यक्ष नानकचंद ने किया और कहा कि पे बैक टू सोसाइटी तभी संभव है जब हम आगे आने वाली पीढी के कल्याण के लिए निरंतर प्रयास करते रहें।

मुख्य अतिथि वैज्ञानिक डॉ. प्रदीप सचान ने कहा कि संविधान को सही तरीके से अमल में लाने पर समस्याओं का हल उसमें निहित है। लेकिन सरकारों ने 75 साल में उसका पूर्णतः अक्षरश: पालन नहीं किया है। इसलिए विभिन्न समस्याएं आज भी जस की तस बनी हुई हैं। भारत का संविधान सम्मान सुरक्षा और संवर्धन की आवश्यकता है। इसके लिए हमें मिलकर प्रयास करना होगा।

मुख्य रूप से उत्तराखंड प्रभारी महेंद्र सिंह राज्य अध्यक्ष बी.पी. सिंह महासचिव डाॅ.आदेश कुमार उप प्रबंधक सचिन कुमार मूल निवासी संघ के राज्य अध्यक्ष आर एन दोहरे उपायुक्त विजय कुमार द्रोणी संविधान प्रबोधक इंजीनियर ललित कुमार जिला अध्यक्ष देहरादून पवन कुमार सतीश कुमार सुदेश गौतम भूपेंद्र सिंह शिवराम सिंह रामपाल सिंह डाॅ. परम कीर्ति राव गौतम इंजी. बबलू सिंह टीका सिंह अनिल कुमार डाॅ संजीव कुमार गौरव कुमार आर के गौतम विक्रम सिंह डॉ नरेंद्र कुमार रिजवान अली विजय कुमार सिंह कपिल कुमार अनुज कुमार सिंह दिनेश चंद्र कुमार सागर कुमार पंकज कुमार गौरव राजोरिया जबर सिंह ऋषि पाल सिंह इत्यादि सहित सैकड़ो अधिकारी कर्मचारी एवं शिक्षक उपस्थित रहे।

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