उत्तराखंडदेहरादून

बुद्ध का मध्यम मार्ग व अद्वितीय सामंजस्य की आज संपूर्ण जगत को आवश्यकता है : डॉ. जितेन्द्र सिंह बुटोइया।

बुद्ध पूर्णिमा पर विशेष।

देहरादून : महात्मा बुद्ध के जन्म दिवस को त्रिपावनी बुद्ध पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है। तथागत बुद्ध का बचपन का नाम सिद्धार्थ था इनके पिता शाक्य वंश के राजा सुद्धोधन एवं माता का नाम महामाया था। इनका जन्म वैशाख माह की पूर्णिमा को 563 ईसा पूर्व लुंबिनी जो अब नेपाल में है वहां पर हुआ था। सिद्धार्थ गौतम ने अपने राज्य से घर परिवार को दुख के सत्य की खोज के लिए छोड़ दिया था। लगातार सात वर्षों तक वह दुख और सत्य की खोज में लग रहे। वैशाख पूर्णिमा को ही 483 ईसा पूर्व में बोध गया बिहार में पीपल के पेड़ के नीचे उनको ज्ञान की प्राप्ति हुई, जिसे “बोधि वृक्ष” के रूप में जाना गया। 80 वर्ष की अवस्था में कुशीनगर उत्तर प्रदेश में उन्होंने अपनी देह को वैशाख माह की पूर्णिमा के दिन त्याग दिया। तीनों घटनाओं का एक ही दिन होने के कारण इस पूर्णिमा को त्रिपावनी पूर्णिमा (बुद्ध पूर्णिमा) के नाम से जाना जाता है। “आत्म ज्ञान” की प्राप्ति के एक सप्ताह बाद तथागत बुद्ध ने सारनाथ में सबसे पहले उपदेश अपने पांच शिष्यों को दिया था। जिन्हें पंचवर्गीय भिक्खु भी कहा जाता है। बुद्ध को आत्मज्ञान से शिक्षा प्राप्त हुई कि इस दुनिया में – 1- दुख है । 2 – दुख का कोई ना कोई कारण है। 3 – यदि दुख का कारण है तो उसका निवारण भी अवश्यक है। 4 – दुख के इस निवारण के लिए अष्टांगिक मार्ग भी बताया -: – 1- सम्यक दृष्टि, 2- सम्यक संकल्प, 3- सम्यक वचन, 4 – सम्यक कर्म, 5 – सम्यक आजीविका, 6 – सम्यक व्यायाम, 7 – सम्यक् स्मृति व 8 – सम्यक समाधि। उन्होंने कहा कि यदि आप इस मार्ग पर चलते हैं तो निश्चित रूप से आप विश्व में शांति का संदेश फैला सकते हैं। शांति कायम कर सकते हैं। उन्होंने मुख्य रूप से यह संदेश भी दिया कि “अप्पो दीपो भव:” आप अपना दीपक स्वयं बनो। उन्होंने हमेशा विभिन्न विवादों में मध्यम मार्ग अर्थात बीच का रास्ता निकालने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि मैं केवल आपके लिए रास्ता दिखाने में सक्षम था। आप परिश्रमपूर्वक प्रयास करें, आपको सफलता अवश्य मिलेगी । यदि आप बुद्ध के बताए मार्ग पर चलते हैं आप आंतरिक परिवर्तन को महसूस करते हैं आप सदैव सकारात्मक सोच रखने का प्रयास करते हैं। आप मानव कल्याण एवं समस्त प्राणियों के कल्याण के लिए प्रयासरत रहते हैं। आप अकारण प्राणी हिंसा से विरत रहते हैं, झूठ बोलना, चोरी करना, नशा करना, व्यभिचार इत्यादि आपके जीवन से हमेशा हमेशा के लिए चले जाते हैं। आपके आचरण व व्यवहार से लोग प्रेरणा लेते हैं, आपका अनुसरण करते हैं, आपसे प्रभावित होते हैं और जब कोई आपसे प्रभावित होता है तभी वह आपकी दी हुई शिक्षाओं पर चलने का प्रयास कर सकता है।

लेखक ने अपनी जीवन की घटनाओं से भी बुद्ध की शिक्षाओं की महत्ता को समझाने का प्रयास किया है, उन्होंने बताया कि एक बार जीवन में लगातार 14 वर्षों व दूसरी बार 17 वर्षों तक वे अलग-अलग लोगों के संपर्क में लगातार रहे, लेकिन जब उन्हें उस स्थान को छोड़कर जाना पडा तो उस समय विदाई के अवसर पर कुछ साथियों द्वारा उनसे यह प्रश्न किया गया कि इतने लंबे समय तक आप हमारे साथ रहे न जाने इस काल में कौन-कौन आपके संपर्क में आया, लेकिन कभी आपने किसी से कोई बैरभाव, लड़ाई, झगड़ा, ऊंची आवाज में बात करना, कुतर्क करना आदि नहीं किया, साथ ही आपने विभिन्न अवसरों पर बहुत सारे साथियों में अद्वितीय सामंजस्य स्थापित करते हुए विभिन्न कार्यक्रमों / आयोजनों/ प्रतियोगिताओं को सफल करवाया है। इसके पीछे कुछ तो बात है तो आज आप यह भी बात कर जाइए कि आप यह सब कैसे कर लेते हैं ? उन्होंने पाठकों से अपील की है कि यदि हम अपने जीवन पर एक दृष्टि डालें तो न. 1 – हम एक शिशु के रूप में जन्म लेते हैं और जीवन जीना सीखते हैं। 2 – थोड़ा बड़े होने के बाद हम भी वह करने लगते हैं जो हमसे बड़े कर रहे होते हैं यह क्रम चलता रहता है। 3 – फिर हम शिक्षा / प्रशिक्षण ग्रहण करने के पश्चात जीवन में कुछ बनने की ओर बढ़ते हैं, प्रयास करते हैं बस यह प्रयास निरंतर चलता रहता है। 4 – सबसे महत्वपूर्ण कारण दूसरों के साथ सामंजस्य स्थापित करते हुए जीवन निर्वाह करना है। यदि हमने एक दूसरे के साथ किस तरह से आचरण व्यवहार रखना है, बनाना है, यह सीख लिया तो निश्चित रूप से हम स्वयं भी जीवन में सुख का उपभोग कर सकते हैं और अन्य लोगों में भी सुख व शांति का संदेश देने में कायम हो सकते हैं। इसलिए हमें दूसरों से भी वही व्यवहार करना चाहिए जो हमें अच्छा लगता है या हम अपेक्षा करते हैं। जीवन का समय बहुत ही सीमित है, इस सीमित समय में क्यों हम किसी से दुश्मनी का भाव लेकर चलते हैं ? या दुश्मन बनाकर आगे बढ़ने का प्रयास करते हैं ? हमें “सबका मंगल हो। सबका कल्याण हो” इसी भावना पर अपना जीवन आधारित कर लेना चाहिए।

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