
देहरादून : विभिन्न राजनैतिक दलों ,सामाजिक संगठनों, मजदूर संगठनों ने मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजकर बस्तियों की सुरक्षा के लिऐ उनके वायदे को निभाने का अनुरोध किया, आज वामपंथी दलों सीपीएम, सीपीआई, यूकेड, बसपा, राष्ट्रीय उत्तराखण्ड पार्टी, आजाद समाज पार्टी, सपा, चेतना आन्दोलन, भीम आर्मी, उत्तराखंड आन्दोलकारी संयुक्त परिषद, सीआईटीयू, एटक, इन्टक, अम्बेडकर युवा समिति, जनवादी महिला समिति, नौजवान सभा, एआईएलयू के प्रतिनिधि शामिल हैं ।
मुख्यमंत्री को भेजे ज्ञापन में
इन्होंने कहा है कि आपके द्वारा स्थानीय निकाय चुनाव में राज्य के गरीब बस्तियों में रहने वाले निवासियों को आश्वासन दिया था कि बस्तियां किसी भी हालात में नहीं उजड़ेगीं तथा हरहाल में बस्तीवासियों की हितों की रक्षा की जायेगी, आपके उक्त आश्वासन के बाद बस्तीवासियों द्वारा जमकर आपकी पार्टी के प्रत्याशियों के पक्ष में मतदान कर उन्हें जिताया ।
ज्ञापन में कहा गया है कि ,अब जबकि चुनाव सम्पन्न हो चुका है ,आपको बस्तीवासियों की सुरक्षा हेतु तत्काल प्रभाव से जनहित में निम्नलिखित कदम उठाकर सभी बस्तियों को मालिकाना हक देना सुनिश्चित करना चाहिए ।
(1) राज्य सरकार की रिस्पना-बिन्दाल के ऊपर 10 हजार करोड़ की एलिवेटेड रोड़ प्रस्तावित की गई जिसके तहत दोनों ओर बसि बर्षों पुरानी बस्तियों को हटाने का प्रस्ताव है।
इन बस्तीवासियों के लिऐ पुर्नवास एवं मुआवजे का प्रावधान तक नहीं किया गया ,जोकि माननीय सर्वोच्च न्यायालय के दिशा निर्देश का उल्लघंन है ।
ज्ञापन में कहा गया है कि,हरेक योजना में बिस्थापन के मापदण्ड जैसे पुर्नवास तथा मुआवजा का प्रावधान होता है, किन्तु इस योजना में प्रभावित लोगों के लिऐ माननीय सर्वोच्च न्यायालय के दिशा निर्देशों को नजरअंदाज किया गया है ।
ज्ञापन में उदाहरण दिया गया कि देहरादून में इससे पहले चौराहा चौड़ीकरण,चकरौता रोड़ चौड़ीकरण,तहसील चौक ,डिस्पेंसरी रोड़ ,आराधर,सर्व चौक ,ई सि रोड़ ,बल्लूपुर,बल्लीवाला चौक ,मोहकमपुर फ्लाईओवर ,जोगीवाला सड़क चौड़ीकरण ,इन्दिरा मार्केट रि – डैवलपमैंन्ट परियोजना ,आढ़त बाजार सिफ्टिंग योजना में पुर्नवास एवं मुआवजा का प्रावधान रहा है किन्तु इस योजना में इन्हें अतिक्रमणकारि कहकर सरकार ने जिम्मेदारी से बच रही है ।
ज्ञापन में कहा गया है कि वर्तमान सरकार द्वारा बार-बार बस्तियों की सुरक्षा तथा वहां रह रहे निवासियों को मालिकाना देने का फैसला सैन्ध्दातिक रूप से स्वीकार किया है,जिसे व्यवहार में अविलम्ब लागू किया जाना चाहिए ।
ज्ञापन में कहा है कि एनजीटी के समक्ष आपके आला अधिकारी केवल गरीब बस्तियों को उजाड़ने कि साजिश कर रहे है जबकि इन दोनों नदियों के इर्दगिर्द विधानसभा, पुलिस आफिसर कालोनी ,अनेक सरकारी, गैरसरकारी संस्थान एवं प्रभावशाली लोगो की बहुम़ंजलि,इमारतें ,कोठिया तथा कब्जे मौजूद है उनका जिक्र कही नहीं है।केवल जान बूझकर गरीबों को बेदखल करने की साजिश की है ।ज्ञापन में मुख्यमंत्री से हस्तक्षेप कि मांग कि है ।
ज्ञापन में अनन्त आकाश, लेखराज, दिग्विजय सिंह, इन्दु नौडियाल, नवनीत गुंसाई, प्रमिला रावत, अशोक शर्मा, उमेंश कुमार, शंकर गोपाल, अनिल कुमार कुमार, आजम खान, बन्टि कुमार, शम्भू प्रसाद ममगाई, एस एस नेगी, हरिश कुमार आदि के नाम शामिल हैं ।